![mugafi community](https://d251apx0x5nzbt.cloudfront.net/website/images/hello.png)
Hey,
Welcome to mugafi
community!
If you want to share new content, build your brand and make lifelong friends, this is the place for you.
Learn & Grow Rapidly
Build Deep Connections
Explore & launch Content
खुदी
तूफान की वो रात थी, आशा मेरी निष्प्राण थी
बेबस हो टूट रही थी, बची हुई जो जान थी
राही अपनी राह का मैं, था बिल्कुल निपट अकेला
धून्ध में, अन्धकार में, मेरी मंजिल मुझसे छूट रही थी
तभी बवंडर विशाल एक, पवन का गुबार एक
समेट अपनी पूरी शक्ति,लिए क्रोध हुआ खड़ा
विपरीत विपत्तियों का, आसुरी यह रूप देख
खौफनाक उस रात में, किंचित मैं डरा
इधर-उधर देखा मैंने, सूझा मुझे न हल कोई
कर सकता जो मेरी रक्षा, न था ऐसा बल कोई
रहमत-ए-आसमान में, तभी एक गूँज हुई
इधर बिजली गिरी ज़मीं पर, उधर भभक उठी ज्वाला मेरी
विवेक को सम्भाल अपने, हौसले का हुँकार भरा
ले कर मशाल जीवन-ज्योति की, हिम्मत से मैं लड़ा
प्राणरहित हुआ बवंडर, थम गया तूफान भी
बढ़ूँ कदम मंज़िल की ओर, मेरी राहों ने पुकार भरी
हार पर जीत का, वो मंज़र था अद्भुत बड़ा
हो बली कितना विरोधी, खुदी से तेरी नहीं बड़ा
रजनी अरोड़ा
Read Less
![Image](https://d2khr2gjqjhcqz.cloudfront.net/633715efeab0c8a2dbb6b8e7/rajniarora1681024334541.jpg)
1 Like
Trending Posts