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दर बदर भटकता रहा ना जाने किस ख्वाइश मे, पता चला के सब कुछ शामिल है तकदीर की आजमाइश में, ख्वाब भी देखा सपने भी बुने मैने, मांगा जब खुदा से, कहा गया के ज्यादा क्यों मांग लिया तूने अपनी फरमाइश मे, चलो ठीक है हम ऐसे ही सही ए जिंदगी, मेरी खुद्दारी मत बेचना मेरी सिफारिश मे। "कुलदीप सिंह "

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