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"क्यूं न अपना सिर कटा दे"
तिरंगे में लिपटा शव उस बूढ़े बाप के कन्धों पर ,जब सवार हुआ होगा ,
तब एक पिता सुई में धागे को पिरो ,
फटे कलेजे को सिलने का साहस कर रहा होगा ,
माॅं के आंचल में अब वो लल्ला का दुलार कहां होगा ,
बंजर आंखों की पुतलियों में सूरज का वह वास कहां होगा ,
लहू में डूब रहे क़लम की निब से ,
किस अमर गाथा का आविष्कार होगा ,
आंखों को नम करके किस गर्व की परिभाषा का निर्माण होगा ,
अरे उस पिता के कांपते हाथों से दी गई मुख-अग्नि का क्या आख्यान होगा ,
जो उंगलियां थामें नन्हे- नन्हे क़दमों से
हर शहर घूम लिया था ,
थककर पिता का कन्धा हो लिया था ,
अरे जो बच्चा खेल- खेल में ही
तिरंगा चुन लिया था ,
देश की सुरक्षा चुन लिया था ,
आज वो कैसे अपना कर्तव्य भूला दे ,
बिन सिर कटाए रणभूमि छोड़ ,
कैसे वो भारत मां को दगा दे ,
आज वो बच्चा.....
कैसे पिता का अभिमान गवां दे ,
कैसे वो अपना स्वाभिमान भूला दे ,
अरे वो बच्चा .......
क्यूं न अपना सिर कटा दे ......।।।।।
Purnima मौर्य✍️
#shameazaadi #onecountryonepeople #Harghartiranga🇮🇳 #Freedom #भारतमाता🇮🇳
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